India's Journey to Republic
भारत का गणतंत्र दिवस एक समृद्ध और ऐतिहासिक यात्रा है, जिसमें कई महत्वपूर्ण घटनाएँ शामिल हैं जिन्होंने राष्ट्र की पहचान को एक गणराज्य के रूप में आकार दिया। यहां गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी, 1950 के पहले के प्रमुख मील के पत्थरों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
1. स्वतंत्रता से पहले का दौर (1947 से पहले)
- ब्रिटिश उपनिवेशी शासन: भारत लगभग 200 वर्षों तक ब्रिटिश उपनिवेशी शासन में था, जिसके दौरान कई स्वतंत्रता आंदोलन, विरोध और विद्रोह ब्रिटिश शासन के खिलाफ हुए। स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल और अन्य महान नेताओं ने नेतृत्व किया।
2. स्वतंत्रता (15 अगस्त 1947)
- भारत की स्वतंत्रता: 15 अगस्त, 1947 को भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की। यह एक ऐतिहासिक घटना थी, लेकिन देश के पास अपनी संविधान और गणराज्य प्रणाली नहीं थी।
- भारत का विभाजन: भारत का विभाजन दो देशों में हुआ - भारत और पाकिस्तान, धार्मिक आधार पर, जिससे व्यापक हिंसा और जनसंख्या का पलायन हुआ।
3. संविधान सभा और संविधान का निर्माण (1946-1950)
- संविधान सभा: स्वतंत्रता के बाद, भारत के संविधान का निर्माण करने के लिए संविधान सभा का गठन किया गया। संविधान सभा का पहला सत्र दिसंबर 1946 में हुआ था, और इसके अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे, जो बाद में भारत के पहले राष्ट्रपति बने।
- संविधान का निर्माण: डॉ. बी.आर. आंबेडकर की अध्यक्षता में ड्राफ्टिंग समिति ने लगभग तीन साल में एक संविधान तैयार किया, जो देश का सर्वोच्च कानून बन गया, और हर नागरिक को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की गारंटी दी।
4. संविधान को अपनाना (26 नवंबर 1949)
- संविधान अपनाया गया: 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया, लेकिन यह निर्णय लिया गया कि संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू होगा, ताकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 26 जनवरी 1930 को 'पूर्ण स्वराज' (पूर्ण स्वतंत्रता) की घोषणा का सम्मान किया जा सके।
5. 26 जनवरी 1950: भारत गणराज्य बना
- गणतंत्र दिवस: 26 जनवरी 1950 को भारत आधिकारिक रूप से गणराज्य बना, संविधान लागू हुआ और भारत एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य बना। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
- लाल किले पर समारोह: पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के लाल किले पर एक भव्य समारोह हुआ, जिसमें भारत के राष्ट्रपति ने सलामी ली।
6. 26 जनवरी का महत्व
- पूर्ण स्वराज से संबंध: 26 जनवरी को संविधान लागू करने के दिन के रूप में चुना गया क्योंकि इस दिन 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता (पूर्ण स्वराज) प्राप्त करने का संकल्प लिया था।
7. गणतंत्र दिवस समारोहों का विकास
- परेड और राष्ट्रीय उत्सव: वर्षों से, गणतंत्र दिवस समारोहों का आकार और महत्व बढ़ा है। नई दिल्ली के राजपथ पर एक भव्य परेड आयोजित होती है, जो भारत की सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक विविधता और उपलब्धियों को प्रदर्शित करती है। भारत के राष्ट्रपति परेड की अध्यक्षता करते हैं और एक भाषण देते हैं, जबकि दुनिया भर से गणमान्य व्यक्ति आमंत्रित होते हैं।
भारत का गणतंत्र दिवस देश के ब्रिटिश उपनिवेश से संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य बनने की यात्रा का उत्सव है, और यह भारतीय संविधान को अपनाने का प्रतीक है, जो भारत में अधिकारों, कर्तव्यों और शासन की रूपरेखा को परिभाषित करता है।
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